BPTP बिल्डर्स फंसा, ग्राहक को चुकाने होंगे 1.19 करोड़


दिल्ली-एनसीआर। देश के बड़े बिल्डर्स में से एक और दिल्ली-एनसीआर में अपना रियल एस्टेट कारोबार करने वाली कंपनी BPTP अपने कामकाज में कमी और सेवाओं में दोष के चलते फंस गई है। हाल ही बीपीटीपी के खिलाफ सेवा दोष का मामला दर्ज करवाने वाले ओमान के संजय रस्तोगी ने केस जीत लिया है, जिसके परिणामस्वरूप अब बीपीटीपी रस्तोगी को 1.19 करोड़ रुपए चुकाएगी।

दिल्ली-एनसीआर और बीपीटीपी के लोगों से मिली जानकारी के मुताबिक रस्तोगी के पक्ष में आया यह फैसला नेशनल कंज्यूमर डिस्प्यूट्स रिड्रेसल कमीशन (एनसीडीआरसी) ने जारी किया है। इस आदेश के मुताबिक 1.19 करोड़ के अलावा रस्तोगी को बिल्डर 50,000 का हर्जाखर्जा और उस पर 10 प्रतिशत की दर से ब्याज भी देने को बाध्य होगा। गौरतलब है कि बीपीटीपी दिल्ली-एनसीआर समेत कई शहरों में पिछले तेरह सालों से रियल एस्टेट में काम कर रहा है। बीपीटीपी अब तक करीब 30 प्रोजेक्ट बना चुका है और बड़े प्रोजेक्ट बनाने के लिए जाना जाता है। अपना माल बेचने के लिए बीपीटीपी की सेल्स टीम विदेशों में भी प्रयास करती है और दूसरे वेंडर्स के जरिए भी विदेशों में कंपनी माल बेचती है। ऐसे में ओमान में रहने वाले रस्तोगी ने कंपनी से प्रॉपर्टी खरीदी थी। रस्तोगी को कंपनी फ्लैट का पजेशन देने में लेट हो गई और ऐसे में रस्तोगी ने 2017 में सेवा दोष का मामला कंपनी के खिलाफ डाल दिया। कंपनी से लम्बी लड़ाई लडऩे वाले रस्तोगी का अब मानना है कि कभी भी बिल्डर के एग्रीमेंट पर भरोसा न करें, इनमें गलत वायदे किए जाते हैं। मैंने बीपीटीपी के गुडग़ांव में प्रोजेक्ट एस्टायर गार्डन्स में 7 लाख रुपए देकर मई 2012 में अपनी बुकिंग करवाई थी। दो लाख देकर क्लब मेंबरशिप भी ली थी। मैंने 2015 तक कंपनी को फ्लैट का 80 प्रतिशत पैसा भी दे दिया, लेकिन समस्या तब शुरू हुई जब पजेशन में डिले करने के साथ कंपनी ने मुझसे 10 लाख एक्ट्रा मांगे। जब मैं 80 प्रतिशत पैसा कंपनी को एग्रीमेंट के मुताबिक दे ही चुका था, तो एक्ट्रा चार्ज का सवाल ही नहीं उठता।

रस्तोगी के इस मामले ने ग्राहकों के हित में नजीर पेश की है। यह भी देखने वाली बात है कि बिल्डर्स द्वारा ग्राहकों को बार-बार परेशान करनें, पैसा बढ़ाकर लेने या सेवाओं में दोष के मामले में अब इस तरह के ग्राहक हित के फैसले सराहनीय हैं। इस मामले में भी एलॉटमेंट लैटर में 30 महीने में पजेशन देने की बात कही गई थी और फ्लोर्स बायर्स एग्रीमेंट में बिल्डिंग प्लान सेंक्शन होने के 36 महीने में डिलीवरी देनी थी। इधर बिल्डर का जुर्माना ठुकने के बाद भी कहना है कि हमने पजेशन में डिले नहीं किया, बल्कि रस्तोगी जिस योजना में निवेश कर चुके थे उसमें करीब 400 परिवार शिफ्ट हो चुके हैं, लेकिन अब अगर रस्तोगी पजेशन लेना नहीं चाह रहे, तो ऐसे में कंपनी जबरदस्ती पजेशन किसको दे। इधर रस्तोगी के मुताबिक उन्होंने हर जगह शिकायत की थी, रेरा में भी की थी, लेकिन एनसीडीआरसी ऐसे मामलों में रेरा से भी बेहतर है, जहां वाकई न्याय की उम्मीद कर सकते हैं।
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