जयपुर. देश भर में छाए कोरोना (COVID-19) के संकट काल में सरकार के साथ-साथ हर कोई प्रभावितों को राहत पहुंचने के लिए कार्य कर रहा है. कोई धनराशि से सहयोग कर रहा है तो कोई भूखों को भोजन खिलाकर अपना कर्तव्य (Duty) निभा रहा है. जयपुर जिले के चाकसू उपखंड अधिकारी ओमप्रकाश सहारण अपने प्रशासनिक दायित्वों को निभा रहे हैं, वहीं उनकी पत्नी विकास सहारण लॉक डाउन के इस दौर में रोजाना 100 दिहाड़ी मजदूरों को खाना खिलाकर अपने सामाजिक सरोकार निभा रही हैं.
अलसुबह से होती है खाना बनाने की तैयारी
उच्च शिक्षा प्राप्त विकास सहारण अलसुबह उठती हैं. खुद सब्जी काटती हैं, आटा गूथती हैं. चावल पकाती है और फिर तैयार खाने को पैकेट में डालने तक का काम वो खुद करती हैं. इस काम में उनकी दो बेटियां नव्या और पूर्वा भी हाथ बंटाती हैं. पूरा सहारण परिवार सुबह के चार घंटे खाना बनाने में लगाता है. सुबह के आठ बजते-बजते उपखंड अधिकारी सहारण जरुरतमंद 100 लोगों का खाना लेकर रवाना होते हैं.
जब तक लॉकडाउन रहेगा तब तक इस सिलसिले को जारी रखेंगी
एसडीएम सहारण चाकसू के जरुरतमंदों को खाना पहंचाते हैं. इनमें ज्यादातर वो दिहाड़ी मजदूर होते हैं जो लॉक डाउन के चलते काम नहीं मिलने से रोजी-रोटी के संकट का सामना कर रहे हैं. लॉक डाउन के दिन से ही विकास सहारण इस पुण्य कार्य में जुटी हुई हैं. विकास का कहना है कि जब तक लॉक डाउन रहेगा तब तक वो इस सिलसिले को जारी रखेंगी.
एसडीएम पति लाते हैं राशन और सब्जी
पत्नी को जरुरतमंद लोगों के लिए खाना बनाने में किसी चीज की कमी न रहे इसलिए एसडीएम पति पूरा ख्याल रखते हैं. किचन में राशन की कमी नहीं आने देते. एक-दो दिन में वक्त निकालकर सब्जी, दाल, आटा और चावल खुद खरीदकर लाते हैं. साथ ही वक्त मिलने पर कभी कभार एसडीएम साहब भी धर्मपत्नी को खाना बनाने में सहयोग कर देते हैं.
ऐसे लिया जरूरतमंदों तक खाना पहुंचाने का संकल्प
लॉक डाउन के दिन एसडीएम सहारण जब सुबह घर पर थे तो अचानक कार्यालय से फोन आया. दूसरी ओर से आवाज आई साहब ये यूपी, बिहार, बंगाल के कोई पांच सौ लोग हैं जिनके पास अब कोई काम नहीं है. यहां के आदिम और खानाबदोश जातियों से जुड़े लोगों की भी बड़ी संख्या है. इनके पास अब कोई रोजगार नहीं हैं. इनके खाने-पीने की दिक्कत आएगी. ये कहां रहेंगे, क्या खायेंगे. ये व्यवस्था करनी है. इस दौरान पास में खड़ी विकास सहारण ने एसडीएम ओमप्रकाश को कहा कि 100 लोगों का खाना तो मैं ही बना दूंगी. बाकी व्यवस्था आप करायें.
इंसान को अपनी श्रद्धानुसार देते रहना चाहिए
उस समय से विकास अपने सारे काम छोड़ बस मानवता के लिए काम रही हैं. वो कहती हैं इंसान को अपनी श्रद्धानुसार देते रहना चाहिए. किसी गरीब बेसहारा का अगर हम संकट काल में सहारा बन पाये तो हमारा जीवन सफल है. मुश्किलों से हमने मुंह मोड़ा तो फिर हम इंसान कैसे कहला सकते हैं.
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